Follow Us:

जातिगत टिप्पणी के दो मामलों में तीन को कारावास और जुर्माना

● जातिगत टिप्पणी के दो मामलों में तीन दोषियों को दोषी ठहराया गया।
● विशेष न्यायाधीश ने छह-छह महीने की सश्रम कारावास और जुर्माना सुनाया।
● अदालत ने जातिगत भेदभाव पर सख्त संदेश देने का प्रयास किया।

सोलन, हिमानी ठाकुर


सोलन जिला न्यायालय ने जातिगत अपमान के दो अलग-अलग मामलों में तीन व्यक्तियों को दोषी करार देते हुए छह-छह महीने की सश्रम कारावास और ₹5000-5000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है। विशेष न्यायाधीश अरविंद मल्होत्रा की अदालत ने यह फैसला अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत पारित किया।

पहला मामला वर्ष 2013 में दर्ज हुआ था, जिसकी शिकायत हाश राज, सचिव, मंगल लैंड लूज़र एंड इफेक्टेड ट्रांसपोर्ट कोऑपरेशन सोसाइटी लिमिटेड, बग्गा (तहसील अर्की) द्वारा की गई थी। घटना 13 मई 2016 की है, जब नील कमल, जो स्वयं भी सोसाइटी की सदस्य थीं, ने कार्यालय में बिना अनुमति घुसकर हाथापाई, दस्तावेजों को नुकसान और जातिगत अपमानजनक टिप्पणियां की थीं। गवाहों के बयानों और घटनास्थल के विवरणों के आधार पर आरोपी को दोषी ठहराया गया।

दूसरा मामला 6 सितंबर 2017 का है, जिसमें रविंदर कुमार, निवासी गोएला, तहसील कसौली, ने शिकायत दर्ज कराई थी कि जब वह अपनी निजी जमीन पर मकान निर्माण करवा रहे थे, दीप राम और उनकी पत्नी सावित्री देवी ने मिलकर उनसे झगड़ा, जातिगत अपमान और मौके पर मौजूद लोगों के सामने अपमानजनक टिप्पणियां कीं। गवाहों की गवाही और प्रमाणों के आधार पर अदालत ने इन दोनों को भी दोषी माना।

दोनों मामलों में अदालत ने न केवल दोषियों को छह महीने की सश्रम कारावास की सजा सुनाई, बल्कि ₹5000-5000 रुपये का जुर्माना भी लगाया। यदि जुर्माना अदा नहीं किया गया, तो एक माह की अतिरिक्त साधारण कारावास भुगतनी होगी।

यह फैसला स्पष्ट रूप से संदेश देता है कि जातिगत भेदभाव और अपमान जैसे अपराधों को समाज में अब और सहन नहीं किया जाएगा। अदालत का यह रुख सामाजिक न्याय के प्रति उसकी गंभीरता और संवेदनशीलता को दर्शाता है।